नवजात बछड़े की देखभाल और प्रबंधन कैसे करें
हमें बछड़ों के लिए अच्छा आहार और प्रबंधन देना चाहिए ताकि वे अच्छी तरह से विकसित हो सकें । बछड़े की देखभाल उसके जन्म से पहले ही शुरू हो जाती है । गर्भवती गाय/भैंस को अपेक्षित ब्याने से 6-8 सप्ताह पहले दूध दोहना छोड़ देना चाहिए और गाय/भैंस को अच्छी तरह से खिलाया जाना चाहिए।
ए) प्रारंभिक प्रबंधन: नवजात बछड़े की देखभाल और प्रबंधन
- जन्म के तुरंत बाद नाक और मुंह से किसी भी श्लेष्मा या कफ को हटा दें।
- आम तौर पर गाय बछड़े को जन्म के तुरंत बाद चाटती है। यह बछड़े को सुखाने में मदद करता है और सांस लेने और परिसंचरण को उत्तेजित करने में मदद करता है। जब गाय/भैंस नवजात बछड़े को न चाटें, तो उसे सूखे कपड़े या बोरी से रगड़कर सुखाएं।
- नेवल कॉर्ड यानी सुंडी को शरीर से लगभग 2-5 से० मी० की दूरी पर बांधा जाना चाहिए और टिंचर आयोडीन या बोरिक एसिड या कोई एंटीबायोटिक लगाना चाहिए।
- गीले बिस्तर को बाड़े से हटा दें और बाड़े को बहुत साफ और सूखी स्थिति में रखें।
- बछड़े का वजन रिकॉर्ड किया जाना चाहिए।
- गाय के थन और निप्पल को क्लोरीन के घोल से धोकर सुखा लें।
- बछड़े को मां का पहला दूध यानी कोलोस्ट्रम(खीस) पीने दें।
- बछड़ा खड़ा होगा और एक घंटे के भीतर दूध पीने का प्रयास करेगा, नहीं तो बहुत कमजोर बछड़ों की दूध पीने में मदद करनी चाहिये।
बी) बछड़ों को खिलाना:
- पहले 3 दिनों तक कोलोस्ट्रम(खीस) यानी गाय का पहला दूध पिलाएं।
- कोलोस्ट्रम(खीस) मोटा और चिपचिपा होता है। इसमे प्रोटीन इम्युनोग्लोबुलिन हैं, जो कई बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। कोलोस्ट्रम(खीस) में एंटी ट्रिप्सिन होता है, जो पेट में इम्युनोग्लोबुलिन के पाचन से बचता है और जैसे है वैसे ही अवशोषित हो जाता है। 3 दिन के बाद पूरा दूध पिला देना चाहिए, बेहतर होगा कि दूध को प्याला या बाल्टी से पिलाये। दिन में दो बार पिलाएं, जो शरीर के तापमान तक गर्म होना चाहिए। कमजोर बछड़ों के लिए दिन में तीन बार पिलाया करें।
- तरल दूध पिलाने की सीमा इसके शरीर के वजन का 10% है और अधिकतम 5-6 लीटर प्रतिदिन है और 6 से 10 सप्ताह तक तरल दूध पिलाना जारी रखें। अधिक दूध पीने से ‘बछड़ा रोग’ (calf scour) होता है।
- बछड़े को एक महीने की उम्र के बाद दाना दें।
- एक महीने बाद अच्छी गुणवत्ता वाला हरा चारा और घास दें।